अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ थीम पर हुई कार्यशाला



शिक्षा से प्राप्त जागरूकता से ही होगा महिला सशक्तीकरण

(अजमेर) अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के कार्यक्रमों की श्रृंखला में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की थीम पर कार्यशाला का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सभागार में मंगलवार को हुआ। इसमें प्राधिकरण के सचिव शक्तिसिंह शेखावत ने कहा कि शिक्षा से प्राप्त जागरूकता से ही महिला सशक्तिकरण हो सकता है।

     जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव शक्ति सिंह शेखावत ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिवर्ष विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की थीम को केन्द्र में रखकर मीडीया कार्यशाला का आयोजन करना जागरूकता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। महिला सशक्तिकरण के लिए आधी आबादी का जागरूक होना आवश्यक है। शिक्षित महिला अपेक्षाकृत अधिक जागरूक होती है। इस कारण प्रत्येक महिला का शिक्षित करने की दिशा में समस्त अभिकरणों द्वारा प्रयास किए जाने चाहिए।

     उन्होंने कहा कि समाज में सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में शिक्षा महत्वपूर्ण कारक हो सकती है। भारत की सनातन परम्परा में महिलाओं को विशेष सम्मानजनक स्थान दिया गया था। मध्ययूगीन विषम परिस्थितियों का महिला वर्ग पर सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ा। आजादी के बाद सामाजिक कुरीतियों को दूर करके महिलाओं को पुनः समानजनक दैवीय स्थान प्रदान किए जाने की आवश्यकता है। महिलाओं को भी आगे आकर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए। इसके साथ-साथ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर महिलाओं के माध्यम से समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए।

     उन्होंने कहा कि महिलाओं को जागरूक करने में मिडीया की बड़ी भूमिका है। इसके माध्यम से प्रदान किया गया सन्देश बड़े जन समूह तक पहुंच बनाता है। लोकतंत्र के चार स्तम्भों में से एक मीडिया के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। लोकतंत्र के एक और स्तम्भ न्यायपालिका महिला सशक्तिकरण का अनुपम उदाहरण है। राज्य में हाल ही में चयनित 190 मजिस्ट्रेटों में से 140 महिलाएं थी। इसी प्रकार ब्यावर की न्यायपालिका महिला सशक्तिकरण का ही उदाहरण है। महिलाओं को आगे आने का अवसर देना समाज के प्रत्येक जागरूक व्यक्ति का सामाजिक दायित्व है। विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा महिलाओं को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। इसके लिए केवल सामान्य प्रार्थना पत्र ही पर्याप्त रहता है।

     इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक विमलेश डेटानी तथा महिला अधिकारिता विभाग के संरक्षण अधिकारी रामकिशोर खदाव सहित प्रतिभागी उपस्थित थे। घूंघट प्रथा समाप्ति के लिए 10 मार्च को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सभागार में किशोरी बालिकाओं के लिए, 11 मार्च तथा ड्रॉप आउट बालिकाओं के लिए 12 मार्च को कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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