राजस्थान : सिलिकोसिस पीड़ितों को 3 लाख तथा मृत्यु पर 2 लाख रुपये का मुआवजा

 


(अजमेर) श्रम राज्य मंत्री टीकाराम जूली ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि सिलिकोसिस पीड़ितों के उपचार के लिए श्रम विभाग द्वारा 3 लाख रुपये तथा मृत्यु होने पर मुआवजे के तौर पर 2 लाख रुपये दिये जाते है। उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार के लिए एक हजार 500 रुपये प्रतिमाह पेंशन, सिलिकोसिस विधवा पेंशन तथा पालनहार योजना जैसे लाभ भी राज्य सरकार द्वारा दिये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त खनन विभाग द्वारा भी 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है। 

जूली प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस सम्बन्ध मंंे पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग द्वारा दी जाने वाली सिलिकोसिस सहायता राशि प्राप्त करने के लिए व्यक्ति का भवन निर्माण श्रमिक होना आवश्यक है। यह लाभ बोर्ड के सदस्यों के अलावा अन्य व्यक्तियों को नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि किसी भी हिताधिकारी श्रमिक के सिलिकोसिस पीड़ित होने पर श्रमिक द्वारा राजस्थान सिलिकोसिस पोर्टल पर प्रमाणीकरण के लिए आवेदन किया जाता है। श्रमिक द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर प्राथमिक स्वास्थ्य जांच कराने के पश्चात् उसके सिलिकोसिस पीड़ित होने की संभावना होने पर उसे जिला न्यूमोनोेकोसिस बोर्ड के प्रमाणीकरण लिए रैफर किया जाता है। 

 सिलिकोसिस प्रमाणित होने पर श्रमिक का आवेदन जिला अधिकारी या नोडल सिलिकोसिस अधिकारी जो कि एडीएम होता है, को ऑनलाइन भेज दिया जाता है । इसके पश्चात् श्रम विभाग के प्रकरण जिला श्रम अधिकारी से सत्यापित होने के बाद सहायता राशि सीधे हिताधिकारी के खाते में जमा करा दी जाती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए श्रमिक यदि अपील करना चाहे तो उसका भी प्रावधान है। 

श्रम राज्य मंत्री ने कहा कि सिलिकोसिस पीड़ितों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2019 में सिलिकोसिस नीति लागू की गई। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग द्वारा सहायता राशि के लिए आवेदन करने वालों का ही रिकार्ड रखा जाता है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा जिला मुख्यालय पर सिलिकोसिस के लिए शिविर लगाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त कारखाना व बॉयलर विभाग द्वारा भी शिविर लगाने तथा जन-जागरूकता के कार्यक्रम किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि जैतारण विधानसभा क्षेत्र में सिलिकोसिस की बीमारी वाले श्रमिक नहीं है, आस-पास के क्षेत्रों में काम के लिए जाने पर इस बीमारी की संभावना हो सकती है। फिर भी आवश्यकता होने पर जैतारण में भी विभाग द्वारा शिविर लगाया जा सकता है। 

 इससे पहले विधायक अविनाश के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में जूली ने बताया कि मण्डल में पंजीकृत श्रमिक अथवा श्रमिक के आश्रित द्वारा सिलिकोसिस सहायता आवेदन करने पर ही योजना के प्रावधानों के अनुसार पात्रता पाये जाने पर सहायता राशि दी जाती है। विभाग द्वारा पंजीकृत श्रमिक के सिलिकोसिस होने का रिकार्ड संधारित नहीं किया जाता है। विधानसभा क्षेत्र जैतारण में विगत दो वर्ष (01 जनवरी 2019 से 31 दिसम्बर 2020) के दौरान मण्डल की सिलिकोसिस सहायता योजना के अन्तर्गत 32 पीडित हिताधिकारियों को व 5 प्रकरणों में मृत्यु उपरान्त  आश्रितों को कुल 78 लाख रुपये की सहायता दी जा चुकी है। 

 उन्होंने बताया कि विगत दो वषोर्ं में पाली जिले में 25 जनवरी 2019 10 मार्च 2019 एवं 24 फरवरी 2020 को सिलिकोसिस का पता लगाने हेतु स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किये गये हैं। श्रम विभाग द्वारा श्रमिकों को डस्ट मास्क व अन्य सुविधा उपकरण उपलब्ध नहीं कराये जाते हैं।

 

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