एक-दूसरे पर ठीकरा कब तक फोड़ेंगे - प्रेम आनन्दकर
क्या पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में बढ़ोतरी के लिए किसी भी सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती है।
पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में रोजाना हो रही बेतहाशा वृद्धि के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है?केंद्र सरकार या राज्य सरकारें? भले ही इस सवाल पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के नुमाइंदे मुंह नहीं खोलते हैं और चुप्पी साधे रहते हैं, लेकिन कांग्रेस और भाजपा के छुटभैया इस तरह एक-दूसरे के दलों को कोसते हैं, जैसे वे कोई बड़े नेता और अर्थशास्त्र के ज्ञाता हों। भले ही यह छुटभैये नेता अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए कुछ भी बोलें, लेकिन यह यह सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि आखिर क्यों रोजाना दाम बढ़ रहे हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं। राज्य सरकारें चाहें तो वैट घटाकर जनता को राहत दे सकती हैं, लेकिन क्या गारंटी है कि वैट घटाने के बाद पेट्रोलियम कम्पनियां पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम नहीं बढ़ाएंगी। दाम भी इतने ज्यादा बढ़ाए जाते हैं कि घटाया गया वैट भी बेमानी हो जाता है। लोगों को वैट घटाने का कोई लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे में एक यही उपाय रह जाता है कि वैट घटाने के बाद दाम नहीं बढ़े। लेकिन कांग्रेस और भाजपा के भक्तों को ऐसी तर्कपूर्ण बातों से कोई मतलब नहीं है। वे तो ऐसे-ऐसे जुमले सोशल मीडिया पर पेलते हैं, जिनको पढ़कर हंसी आने के साथ उनकी बुद्धि पर तरस आता है। अपने दल के प्रति भक्ति दिखाने से कोई गुरेज नहीं है, लेकिन बात तो ऐसी करो कि आमजन के गले उतर सके और उसके हित की हो। बहरहाल, रोजाना दाम बढ़ोतरी के लिए कौन जिम्मेदार है, यह सवालिया निशान प्रबुद्ध लोगों के छोड़ता हूं। उनकी राय ही इस सवाल का जवाब होगी।
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