भारत की कोविड वैक्सीन विज्ञान की लम्‍बी छलांग है - उपराष्ट्रपति


नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि स्वदेशी वैक्सीन दूसरों के लिए आत्‍मनिर्भर भारत के लाभों को दर्शाती है

उपराष्‍ट्रपति ने इस वर्ष लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए 2020 में राष्ट्रीय संकल्प का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कल दो कोविड वैक्‍सीनों के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिलने की सराहना की। उन्‍होंने इसे विज्ञान की लम्‍बी छलांग बताते हुए कहा कि इससे मानवता बड़े पैमाने पर लाभान्वित होगी। आज सोशल मीडिया पर लिखते हुए उपराष्‍ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि यह उपलब्धि इस बात का संकेत है कि आत्‍मनिर्भर भारत न केवल भारतीयों को बल्कि बड़े पैमाने पर मानवता को भी लाभ पहुंचा सकता है। पिछले वर्ष कोविड-19 की रोकथाम में देश द्वारा दर्शाए गए राष्ट्रीय संकल्प की सराहना करते हुए नायडू ने इस वर्ष के दौरान भी लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए इसी भावना से काम करने का आह्वान किया।

नायडू ने कहा कि भारत इस बहुत जरूरत वाली वैक्सीन का बड़ी मात्रा में उत्पादन करने की अपनी योग्‍यता और क्षमता का प्रदर्शन करते हुए इस घातक बीमारी से मानवता की रक्षा करने में सबसे आगे रहा है। भारत की स्वदेशी वैक्सीन (कोवैक्‍सीन) में पूरे वायरस की पहुंच पर आधारित कुछ अनूठी विशेषताएं हैं। यह एक सराहनीय उपलब्धि है और दूरदर्शी मजबूत तथा उत्साही प्रयासों के लिए सभी संबंधित व्‍यक्ति बधाई के पात्र हैं।

वर्ष 2020 में कोविड-19 के विनाशकारी प्रभावों का उल्लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीन की प्रतीक्षा की जा रही थीक्‍योंकि सुरक्षा और संरक्षापूर्ण जीवन में लौटने का यही एकमात्र हथियार है। उन्‍होंने विज्ञान की विजय के रूप में ऐसी वैक्‍सीनों के साथ आगे आने के उत्साही वैज्ञानिक प्रयासों की सफलता की भी सराहना की। नायडू ने यह भी कहा कि इस सफलता के समारोह की तब तक प्रतीक्षा कर सकते हैंजब तक हर जरूरतमंद को वैक्सीन उपलब्‍ध न हो जाए, लेकिन इस आशावादी क्षण पर खुशी जाहिर करना उचित ही है। उन्होंने कहा कि वैक्‍सीन उपलब्ध कराने की दिशा में भारत के उत्साही प्रयासों ने पूरे विश्‍व के लोगों को स्पेनिश फ्लू के प्रकोप के बाद पिछले 100 वर्षों की सबसे खतरनाक स्वास्थ्य चुनौतियों के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में भारत के नेतृत्व की भूमिका से वैक्‍सीन उपलब्‍ध कराने की उम्मीद जगी है।

उन्‍होंने कहा कि वैक्सीन का विकास और इसकी व्‍यवस्‍था के लिए प्रोटोकॉल के कड़े शासन द्वारा दिशा-निर्देश दिए गए हैं और बिना किसी समझौते के अटेंडेंट डेटा की सख्त निगरानी भी की जानी है। उपराष्ट्रपति ने कल कोविशिल्ड और कोवैक्‍सीन नामक दो वैक्‍सीनों को मंजूरी देने से पहले राष्‍ट्र की उचित कर्मठता के बारे में नियामक के आश्वासन का उल्‍लेख किया।

नायडू ने कहा कि वैक्‍सीन की घोषणा के साथ भारत की विज्ञान क्षेत्र में यह छलांग आत्‍मनिर्भर भारत की भावना को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। यह दर्शाता है कि आत्मनिर्भर भारत का अर्थ केवल अपने लोगों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्‍व के लोगों के लिए भी है। भारत एक महान गणना के इस महत्वपूर्ण क्षण में मजबूती से खड़ा है। यह अपनी उपलब्धि साझा करने और सभी की देखभाल करने के हमारे लोकाचार को भी दर्शाता है। जल्द ही वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगीजो पिछले वर्ष के दु:ख और चिंता को पीछे छोड़ने की दिशा में एक शुरुआत होगी।

वेंकैया नायडू ने कहा कि वर्ष 2020 में कोविड की स्थिति से निपटने के लिए पूरा देश एक स्‍वर में खड़ा हो गया था। केन्‍द्र में राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व और राज्‍यों तथा केन्‍द्रशासित प्रदेशों ने एकता के उद्देश्‍य की भावना से काम किया। इससे कोविड के खिलाफ लड़ाई लड़ने और इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक क्षमता को महत्‍वपूर्ण रूप से बढ़ाने में सफलता मिली। नायडू ने इस वर्ष भी लोगों से वैक्सीन लेने में उसी संकल्प का प्रदर्शन करने की आवश्‍यकता पर जोर दिया।

 

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