पीएम मोदी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को किया संबोधित
इस अवसर
पर प्रधानमंत्री ने सर सैय्यद की उस टिप्पणी को याद किया कि अपने देश के बारे में
जो व्यक्ति चिंता करता है उसका पहला और सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य यह है कि वह
जाति, पंथया धर्म का विचार किए बिना सभी लोगों के कल्याण के लिए
काम करे। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देश ऐसे मार्ग पर आगे बढ़ रहा है
जहां हर नागरिक अपने संविधान से मिले अधिकारों के प्रति आश्वस्त है। किसी भी व्यक्ति
को धर्म के कारण पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’शपथ का आधार है। प्रधानमंत्री ने बिना किसी भेदभाव के जनता को लाभ प्रदान करने वाली सरकार
की योजनाओं के भी उदाहरण दिए। बिना किसी भेदभाव के 40 करोड़
से अधिक गरीब लोगों के बैंक खाते खोले गए। इसी तरह बिना कोई भेदभाव किए 2 करोड़ गरीब लोगों को पक्के घर दिए गए। 8 करोड़ से
अधिक महिलाओं को बिना किसी भेदभाव के गैस कनेक्शन मिले हैं। लगभग 50 करोड़ लोगों ने आयुष्मान योजना के तहत बिना किसी भेदभाव के5 लाख रुपये तक का मुफ्त उपचार कराया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के
संसाधन हर नागरिक के लिए हैं, इनका
सभी को लाभ मिलना चाहिए। हमारी सरकार इसी समझ के साथ काम कर रही है।
नए भारत
के विजन में यह कल्पना की गई है कि देश और समाज के विकास को राजनीतिक दृष्टि से
नहीं देखा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने लोगों को भ्रामक प्रचार के विरुद्ध सतर्क
रहने और दिल में राष्ट्र के हितों को सर्वोच्च मानने का आह्वान किया। राजनीति
इंतजार कर सकती है लेकिन समाज नहीं, इसी
प्रकार गरीब चाहे किसी भी वर्ग से संबंधित हो, वह भी इंतजार
नहीं कर सकता। हम समय को बर्बाद नहीं कर सकते, हमें आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी प्रकार के मतभेदों को दूर रखा
जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री
ने कोरोना महामारी के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा समाज को दिए गए अभूतपूर्व योगदान
की सराहना की। उन्होंने कहा कि एएमयू ने हजारों लोगों के निःशुल्क परीक्षण किए, आइसोलेशन वार्ड बनाए, प्लाज्मा बैंक बनाए और पीएम केयर फंड में
बड़ी राशि का योगदान दियाजो इस विश्वविद्यालय की समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों
को पूरा करने की गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे संगठित प्रयासों के
साथ भारत देश को सर्वोपरि रखते हुए कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी का सफलतापूर्वक
मुकाबला कर रहा है।
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पिछले 100 वर्षों में एएमयू ने दुनिया के अनेक देशों के साथ भारत के संबंधों को
मजबूत बनाने के लिए भी कार्य किया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में
उर्दू, अरबीऔर फारसी भाषाओं तथा इस्लामी साहित्य पर
किए गए शोध पूरे इस्लामी विश्व के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊर्जा
प्रदान करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विश्वविद्यालय कोअपनी नरम छवि को और
आगे बढ़ाने के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण के दायित्व को पूरा करने की दोहरी
जिम्मेदारी उठानी है।
प्रधानमंत्री
ने उस समय का स्मरण किया जब शौचालयों की कमी के कारण मुस्लिम बेटियों की पढ़ाई
बीच में छोड़ने की दर 70 प्रतिशत
से अधिक थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक मिशन मोड में
स्कूल जाने वाली छात्राओं के लिए अलग शौचालयों का निर्माण कराया। अब मुस्लिम
बेटियों की स्कूल छोड़ने की दर घटकर लगभग 30 प्रतिशत हो गई
है। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा
स्कूल छोड़ने वाले छात्रों के लिए चलाए जा रहे ‘ब्रिज कोर्सों’ की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार मुस्लिम
बेटियों की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण पर बहुत ध्यान दे रही है। पिछले 6 वर्षों में सरकार द्वारा लगभग 1 करोड़ मुस्लिम बेटियों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई हैं। उन्होंने इस
बात पर जोर दिया कि लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए, सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को देश की प्रगति का
लाभ मिलना चाहिए।
प्रधानमंत्री
ने कहा कि देश ने तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करके आधुनिक मुस्लिम समाज का
निर्माण करने के प्रयासों को आगे बढ़ाया है। पहले यह कहा जाता था कि अगर एक महिला
शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। शिक्षाअपने साथ रोजगार और
उद्यमशीलता को लाती है। रोजगार और उद्यमशीलता अपने साथ आर्थिक स्वतंत्रता लाते
हैं। सशक्तिकरण से आर्थिक आजादी प्राप्त होती है। एक सशक्त महिला हर निर्णय में,हर स्तर परकिसी अन्य के समान ही
योगदान देती है।
प्रधानमंत्री
ने कहा कि एएमयू ने उच्च शिक्षा में अपने समकालीन पाठ्यक्रम से अनेक लोगों को
आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विश्वविद्यालय
में पहले से ही पढ़ाए गए अंतर्विषयक विषय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि देश के युवा
राष्ट्र सर्वोपरि के आह्वान पर देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। नई राष्ट्रीय
शिक्षा नीति में देश के युवाओं की इसी आकांक्षा को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने
कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई प्रवेश और निकास बिंदु होने से छात्रों
को अपनी शिक्षा के संबंध में कोई निर्णय लेने में आसानी रहेगी। यह नीति छात्रों को
पूरे पाठ्यक्रम के शुल्क के बारे में कोई चिंता किए बिना अपना निर्णय लेने की स्वतंत्रता
भी प्रदान करेगी।
प्रधानमंत्री
ने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा में नामांकनों और सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए
लगातार काम कर रही है। शिक्षा चाहे ऑनलाइन होयाऑफलाइन हो सरकार यह सुनिश्चित करने
के लिए काम कर रही है कि शिक्षा सब तक पहुंचे और सभी के जीवन में परिवर्तन करे।
उन्होंने एएमयू के 100
छात्रावासों से भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के
अनुरूप इस विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के अवसर पर जिन स्वतंत्रता सेनानियों
के बारे में लोग कम जानते हैं उनके बारे में शोध का पाठ्येतर काम करने का अनुरोध
किया।
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