मुख्यमंत्री गहलोत ने ली कोविड-19 की समीक्षा बैठक

जयपुर, राजस्थान 


जन आंदोलन से लोगों में बढ़ी जागरूकता 


लोगों का स्वप्रेरित होकर भीड़ भरे आयोजनों से बचना सराहनीय 



    मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे सतत प्रयासों का असर है कि लोग स्वप्रेरणा से मास्क लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेसिंग एवं अन्य हैल्थ प्रोटोकॉल की पालना कर रहे हैं। 



नवरात्रा के इन दिनों में होने वाले गरबा, डांडिया, रामलीला जैसे कार्यक्रम सार्वजनिक स्तर पर भीड़-भाड़ के साथ आयोजित न होकर डिजिटल माध्यम से ही हो रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए प्रदेशवासियों में बढ़ती चेतना सराहनीय है। इसे देखते हुए जन आंदोलन को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है।



गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्यायालयों ने भी अपने निर्णय में कहा है कि महामारी  से बचाव के लिए जब 6 माह से स्कूल नहीं खुल रहे हों, अन्तिम संस्कार तथा विवाह जैसे जरूरी आयोजनों में भी सीमित संख्या में लोगों को अनुमत किया गया है, तो ऎसी परिस्थिति में अन्य भीड़ भरे आयोजनों का होना उचित नहीं है। गहलोत ने कहा कि ऎसी स्थिति में रावण दहन, दशहरा मेला जैसे कार्यक्रम भी डिजिटल माध्यम से आयोजित किया जाना बेहतर है।



मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों की राय एवं अनुभवों के अनुसार प्रदूषण के कारण कोविड-19 के रोगियों में सांस की तकलीफ बढ़ जाती है। साथ ही, इससे मृत्युदर बढ़ने की आशंका भी व्यक्त की गई है। ऎसे में, हमें दिवाली एवं दशहरे के अवसर पर आतिशबाजी से बचना चाहिए। साथ ही, सर्दी के मौसम मेें संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ सकता है। इसे देखते हुए लोग वैवाहिक समारोहों एवं त्यौहारों के दौरान विशेष सावधानी बरतें। 



गहलोत ने कहा कि कोरोना से ठीक हुए रोगियों में हार्ट एवं लंग्स की जटिलताओं के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। ऎसे में, कोरोना से ठीक हुए लोग नियमित रूप से चिकित्सक से परामर्श लें और आवश्यक जांच करायें, ताकि कोरोना के दुष्प्रभावों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि अनुभव बताते हैं कि कोरोना के लक्षण नजर आने के बावजूद लोगों ने अस्पताल पहुंचने में देरी की। जिसके कारण उनके फेफडों एवं श्वसन तंत्र के साथ ही अन्य अंगों में जटिलताएं बढ़ गई। ऎसे में, समय पर जांच एवं उपचार कराकर इससेे बचा जा सकता है। 



मुख्यमंत्री ने जन आंदोलन के सकारात्मक असर को देखते हुए निर्देश दिए हैं कि स्थानीय निकायों में कार्यरत सफाईकर्मी भी घर-घर जाकर लोगों को मास्क पहनने तथा ‘नो मास्क-नो एन्ट्री’ के लिए प्रेरित करें। 



निदेशक स्वायत्त शासन दीपक नन्दी ने जन आंदोलन की प्रगति से अवगत कराते हुए बताया कि मास्क वितरण कार्यक्रम की मोबाइल एप के माध्यम से मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके लिए 2000 टीमों का भी गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि मास्क वितरण एवं ‘नो मास्क-नो एन्ट्री’ को लेकर राज्यभर से जनप्रतिनिधियों का फीडबैक लिया गया, जिसमें जनप्रतिनिधियों ने इस अभियान को काफी उपयोगी बताया है। 



प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा ने बताया कि राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन के कारण प्रदेश में विगत दिनों के मुकाबले कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या में कमी आई है। मृत्युदर में भी लगातार गिरावट आने के साथ ही रिकवरी दर बेहतर हो रही है। 



बैठक में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, मुख्य सचिव राजीव स्वरूप, पुलिस महानिदेशक अपराध एमएल लाठर, प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।


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