राजस्थान : मुख्य सचिव का निर्देश, सिलिकोसिस रोगी सरकारी सहायता से वंचित नहीं रहे, शीघ्र सर्वे कराकर सभी को सहायता मुहैया कराएं

जयपुर, राजस्थान 



मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि प्रदेश में सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित कोई भी व्यक्ति सरकारी सहायता से वंचित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने इसके लिए शीघ्र सर्वे शुरू कराकर प्रमाणीकरण एवं सहायता राशि के भुगतान की कार्यवाही करने के निर्देश दिए। 



राजीव स्वरूप सोमवार को यहां शासन सचिवालय में अपने कक्ष से वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के माध्यम से संबंधित विभागों के उच्च अधिकारियों के साथ सिलिकोसिस प्रकरणों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सिलिकोसिस पीड़ितों को समय पर सरकारी राहत पहुंचाना प्रमुख प्राथमिकता है। उन्होंने इसके लिए पूरे प्रदेश में सर्वे कराकर रोगियों को चिह्नित कर प्रमाणीकरण एवं सहायता राशि के भुगतान की कार्यवाही करने के निर्देश दिए।



मुख्य सचिव ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को 10 दिन में सर्वे का प्लान प्रस्तुत कर कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। सर्वे के दौरान 2018 से पहले ऑफलाइन आवेदन करने वाले पात्र लोगों को जिला कलक्टर के माध्यम से चिह्नित किया जाएगा। उसके बाद पोर्टल पर अपलोड कर पीड़ितों को नियमानुसार सहायता मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने सिलिकोसिस के लम्बित प्रकरणों की समीक्षा करते हुए खान एवं श्रम विभाग को भी 10 दिन के भीतर सभी प्रमाणित प्रकरणों में भुगतान करने के निर्देश दिए। साथ ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को सभी लम्बित प्रकरणों का शीघ्र प्रमाणीकरण कराने के निर्देश दिए।



बैठक में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि डस्ट से होने वाली बीमारियों के लिए न्यूमोकोनोसिस निवारण निधि बनाई जा रही है, जिससे जिला कलक्टर की स्वीकृति के पश्चात् शीघ्रता से नियत समय पर भुगतान किया जा सकेगा। इस निधि में खान एवं श्रम विभाग के अंश के अलावा राज्य सरकार से फंड उपलब्ध करवाना प्रस्तावित है। सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए प्रमाणीकरण का भी सरलीकरण किया जा रहा है। 



इस वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक से खान एवं पेट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव निरंजन आर्य, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा एवं श्रम विभाग के शासन सचिव डॉ. नीरज कुमार पवन जुड़े हुए थे। 


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