कुलपति हैं या घोटालेबाज?
कुलपति हैं या घोटालेबाज?
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
आप जो फोटो देख रहे हैं, यह अजमेर के महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की है। इस फोटो के गोले में चौकड़ीदार शर्ट में हाथ ऊंचे कर जो शख्स खड़े हैं, वे यहां के कुलपति (वॉइस चांसलर) प्रो. आर. पी. सिंह हैं। उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा है। वे अपने ड्राइवर के जरिए रिश्वत लेते थे। उनके साथ ड्राइवर भी गिरफ्तार हुआ है, जो फोटो में उनके पास खड़ा है। पूरा मामला तो आप अखबार की इस कटिंग में भी पढ़ सकते हैं। मैं सिर्फ इतना अवगत करा रहा हूं कि यह वही व्यक्ति हैं, जिन्हें मेरठ (उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय के कुलपति पद से इसी तरह के मामलों में फंसने के कारण बर्खास्त किया गया था। उन्हें इसके बाद राजस्थान लाकर जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में कुलपति बना दिया गया। उन्होंने वहां पर भी काफी गुल खिलाए। करोड़ों रुपए के घोटाले और भर्तियों में बेशुमार गड़बड़ी करने के आरोप लगे। तत्कालीन राज्यपाल ने जोधपुर से हटाकर अजमेर की छाती पर मूंग दलने के लिए ला बैठा दिया। अजमेर में कुलपति नियुक्त होने के कुछ दिन बाद जोधपुर के एक भले इंसान ने राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की। एक साल तक सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इससे इस शख्स के हौंसले बुलंद हो गए और अजमेर में जमकर लूटखसोट शुरू कर दी। हालांकि शिक्षा के मंदिर में हथियारों का कोई काम नहीं होता है और होना भी नहीं चाहिए। फिर भी कुलपति बने यह व्यक्ति बेल्ट में कमर पर रिवाल्वर बांधकर चलते थे। अब आप खुद सहज अंदाज लगा सकते हैं कि कुलपति की कुर्सी पर बैठे यह शख्स किस प्रवृत्ति के होंगे।
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
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