बस! उसकी यही कहानी थी - हनुमान प्रसाद जांगिड़
बस! उसकी यही कहानी थी - हनुमान प्रसाद जांगिड़
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आशा उसकी अभिमानी थी
आजाद हिंद की ठानी थी
अरे! क्या खूब जवानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
जनेऊधारी बांका था वो
एक अकेला आका था वो
मूछों की तान निशानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
"आजाद"उम्र भर कहलाया
जौहर भी अपना दिखलाया
आजाद देश की ठानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
अहिंसा ने पाँव पीछे खींचे
तब आजाद बढ़ा ताने मूछें
आजादी उसकी दीवानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
आज दिवस जन्मा था वो
दीवानों से दीवाना था वो
कब विचारा उम्र जवानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
किशोर उम्र में आजाद नाम
कोड़े खाये किया नेक काम
कांकोरी उसने पहचानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
झाँसी जंगलों में सीखे निशाने
आजाद के सब बने थे दीवाने
भगत बिस्मिल ने भी मानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
जीत या मौत की करनी पर
गर्व था उसको जननी पर
अंग्रेजो ने भी धाक जानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
माह फरवरी फाल्गुन था
वसन्त अपने चरम पे था
शत्रुओं ने बंदूक तानी थी
उसकी अपनी कहानी थी
तब वो एक था वे थे अनेक
गोली मार रहे थे देख देख
माथे चिन्ता क्यो आनी थी
उसकी अपनी कहानी थी
बन्दूकों से सौ सौ वार हुए
आजाद को तो त्योहार हुए
अंतिम गोली की मानी थी
बस उसकी यही कहानी थी।।
बस! उसकी यही कहानी थी - हनुमान प्रसाद जांगिड़
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