संक्रमण पर नियंत्रण के लिए शनिवार, रविवार को शुरू करे लाॅकडाउन - विधायक देवनानी
अजमेर, राजस्थान
- विधायक देवनानी ने सदन में कोविड-19 पर चर्चा के दौरान दिये सुझाव
- अजमेर के जेएलएन हास्टपीटल की अव्यवस्थाओं का उठाया मामला
- निजी हास्पीटल व स्कूलों की मनमानी पर लगाए रोक
- प्रवासी श्रमिकों के रोजगार की करे चिंता
फाइल फोटो
विधायक अजमेर उत्तर एवं पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक शनिवार व रविवार को लाॅकडाउन शुरू किया जाए।
देवनानी ने शुक्रवार को विधान सभा में कोविड-19 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है तथा बचाव हेतु आवश्यक गाईड लाईन की पालना नहीं हो रही है। चूंकि शनिवार व रविवार को सरकारी कार्यालय बंद रहते है तथा अधिकांश निजी संस्थानों में भी अवकाश रहता है इसलिए अस्पतालों को छोड़कर सप्ताह में इन दो दिन के लिए लाॅकडाउन शुरू करना चाहिए।
देवनानी ने अजमेर के जेएलएन हास्पीटल की अव्यवस्थाओं का मामला उठाते हुए कहा कि यदि चिकित्सा मंत्री जी उनके गृह जिले में स्थित इस हास्पीटल के अचानक निरीक्षण पर चले जाए तो पता चलेगा कि वहां पर मरीज बीमारी से तो नहीं परन्तु व्याप्त अव्यवस्थाओं से मर जाए। आइसोलेशन वार्ड जहां पर कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती है वहां के टाॅयलेट इतने गन्दे है कि उनमें अन्दर घुसना ही बहुत मुश्किल है। सीनियर डाक्टर तो छोड़ों रेजीडेन्ट डाॅक्टर तक वार्ड में जाकर मरीजों को नहीं सम्भालते। नर्सिंगकर्मियों व वार्ड बाॅय के द्वारा दवाईयों मरीज के सामने खिसका दी जाती है।
उन्होंने जेएलएन में व्याप्त अव्यवस्थाओं का हाल सदन में रखते हुए यह भी कहा कि वहां कार्यरत नर्सिंगकर्मी बहुत मानसिक दबाव में काम कर रहे है। रोटेशन के आधार पर उनकी ड्यूटी नहीें बदली जा रही तथा वरिष्ठ व अनुभवी नर्सिंगकर्मियों को ना लगाकर नये नर्सिंगकर्मियों से लगातार ड्यूटी कराई जा रही है। इसके अलावा चिकित्सकों व नर्सिंगकर्मियों को पीपीई किट, एन-95 मास्क जैसे आवश्यक संसाधन भी चिकित्सालय प्रशासन द्वारा उपलबध नहीं कराये जा रहे। देवनानी ने कहा कि चिकित्सा मंत्री प्रदेश में बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्थाओं का दावा कर रहे है और उनके गृह जिले के हास्पीटल के हालात इतने बदतर है।
देवनानी ने सदन में निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के ईलाज के नाम पर मनमानी व लूटपाट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वहां पर जब चाहे रिपोर्ट पाॅजिटिव व जब चाहे रिपोर्ट नेगेटिव कर दी जाती है। इतना ही नहीं नेगेटिव रिपोर्ट वालों को भी पाॅजिटिव बताकर ईलाज के नाम लूटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थिति इतनी चिंताजनक हो गई है कि मरीज जाए तो जाए कहॅा। सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाओं का बुरा हाल है तो निजी में खुली लूटमार। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 को लेकर चिकित्सा विभाग द्वारा आवश्यक संसाधनों की खरीद में भी भ्रष्टाचार दिखाई पड़ता है। चिकित्सा मंत्री चाहे तो अजमेर जिले में की गई खरीद की ही किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करा ले तो भ्रष्टाचार की पोल खुल जाएगी। सरकार ने कोविड-19 के पेशंेट की व्यवस्थाओं के लिए 2440 रूपये का प्रावधान किया। लेकिन इसमें से खर्च कितना हुआ तथा व्यवस्थाएं कैसी की गई सरकार को यही भी दिखवाना चाहिए। प्रशासन एक पलंग और एक चद्दर के लिए 550 रूपये दे रहा है वहीं निजी होटलों को एक पेशेंट के लिए मात्र 238 रूपये दिये गये है जिसमें उनके ए.सी. का बिजली बिल ही चुकता नहीं होता है। देवनानी ने सरकार द्वारा निरोगी राजस्थान बनाने के दावें पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे हालात रहे तो रोगी राजस्थान बनने में देर नहीं लगेगी।
देवनानी ने कहा कि सरकार बार-बार यह दावा कर रही है कि लाॅकडाउन में प्रदेश में कोई भूखा नहीं रहा परन्तु यह सब तो हमारे भामाशाहों, हमारी संस्कृति जिसमें यह भावना निहित है तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राशन से लेकर दी गई आर्थिक सहायता व सम्बल से ही सम्भव हो पाया है । मोदी जी द्वारा देश के 80 करोड लोगों को राशन दिया जा रहा है जबकि राज्य सरकार की अनदेखी के चलते प्रदेश का मध्यम वर्ग आज सबसे ज्यादा पीड़ित है। वो ना तो किसी से सहायता की मांग कर सके और अपना राशन कार्ड लेकर घूमते रहे लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।
उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश में निजी स्कूलों व अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाई जाए तथा नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्यवाही भी की जाए। अभिभावकों को स्कूलों द्वारा फीस व किताबों आदि के लिए परेशान किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री जी ने 3 माह की फीस स्थगित करने की घोषणा की थी परन्तु स्कूल मेनेजमेंट का अभिभावकों पर लगातार दबाव बना हुआ है। राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वेट बढाकर कोरोना से प्रभावित हुए काम-धंधों से त्रस्त जनता को और अधिक दुःखी कर दिया गया। उन्होंने सरकार से मांग की कि जिस प्रकार दिल्ली सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर आठ रूपये कम किये है उसीप्रकार राजस्थान में क्यों नहीं किया जा सकता।
देवनानी ने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने की व्यवस्था की जाए तथा इसके लिए उन्हें आईटीआई में आवश्यक प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाए ताकि वे राजस्थान में ही रहकर रोजगार प्राप्त कर सके साथ ही उनके बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में सभी वार्डो, गलियों, मौहल्लों में सेनेटाईजेशन कराया जा रहा था जिसे बन्द कर दिया गया है। यह व्यवस्था फिर शुरू की जाए। वर्तमान में अधिकांश कोरोना संक्रमितों को होम आईशोलेट किया जा रहा है परन्तु उनकी कोई सुध नहीं ली जा रही। उन्होंने कहा कि यदि सरकार के पास चिकित्सीय टीम की कमी है तो होम आइसोलेट मरीजों से चिकित्सक फोन पर ही बात कर उनके स्वास्थ्य की संभाल की जा सकती है तथा आवश्यक परामर्श दिया जा सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने कोरोना महामारी से प्रभावित मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए बिजली के बिलों में 4 माह का स्थाई शुल्क माफ करने की मांग भी सरकार से की। उन्होंने अस्पतालों के आइशोलेशन वार्ड में सीसी टीवी व वाई-फाई की सुविधा के साथ टीवी लगवाने की मांग भी सरकार से की।
देवनानी ने चिकित्सा मंत्री से कहा कि उन्होंने पाॅच माह में आकर कभी अपने गृह जिले को नहीं संभाला, कभी जनप्रतिनिधियों से नहीं मिले जबकि यहां के हालात इतने खराब हो चुके है। उन्होंने कहा कि सरकार व हमारा एक ही उद्धेश्य है कि क्षेत्र में कोई संक्रमित ना हो तथा संक्रमण से किसी की मौत भी ना हो। सरकार को इसके लिए गंभीरतापूर्वक जरूरी कदम उठाने चाहिए।
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