पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र के लिए अपने संबोधन में कोविड के विरुद्ध देश की वीरतापूर्ण लड़ाई को किया सलाम
पीएम ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की करी घोषणा
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वर्तमान में चल रही कोविड-19 महामारी और भारत के जिस लगातार क्रमबद्ध और सक्रिय दृष्टिकोण ने देश को "आत्मनिर्भर" बना दिया है उसे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र के लिए प्रधानमंत्री के संबोधन में स्थान मिला है क्योंकि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में स्वास्थ्य के क्षेत्र में केन्द्र सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला है।
इस बीमारी के कारण अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के कोरोना योद्धाओं की सराहना करने की जरूरत है क्योंकि उन्होंने "सेवा परमो धर्म" मंत्र का उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को आश्वस्त किया कि “हम कोरोना के खिलाफ जीत हासिल करेंगे। 'मजबूत इच्छाशक्ति' ही जीत की ओर ले जाएगी।''
उन्होंने देश की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना पर प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप कोविड-19 में भी आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि देश अब पीपीई किट, एन95 मास्क, वेंटिलेटर आदि का उत्पादन कर रहा है, जिनका पहले घरेलू स्तर पर विनिर्माण नहीं किया जा रहा था। ऐसी विश्व स्तरीय वस्तुओं की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी भी उनके आह्वान "वोकल फॉर लोकल" में गूंजी है।
आज लाल किले की प्राचीर से संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने देश की कोविड परीक्षण क्षमता में निरंतर वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पहले हमारे पास केवल एक प्रयोगशाला थी जबकि आज हमारे पास देश भर में 1400 से अधिक प्रयोगशालाएँ हैं। हम पहले एक दिन में सिर्फ 300 परीक्षण ही कर रहे थे लेकिन आज हम एक दिन में 7 लाख से अधिक परीक्षण कर रहे हैं। हमने यह स्तर बहुत कम समय में हासिल किया है।
अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने कोरोना वैक्सीन के विकास के लिए भारत की रणनीति के बारे में भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक मजबूत संकल्प के साथ इस मिशन पर कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में, तीन वैक्सीन परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं। वैज्ञानिकों के संकेत देते ही वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के उत्पादन और वितरण का खाका भी तैयार है।
चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य बुनियादी ढ़ांचे की क्षमता बढ़ाने के लिए देश की प्रेरणा का विस्तार करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि नए एम्स और मेडिकल कॉलेज देश में चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाएंगे। हमने एमबीबीएस और एमडी पाठ्यक्रमों में 45,000 से अधिक सीटें बढ़ाई हैं। प्रधानमंत्री ने मौजूदा महामारी के दौरान गैर-कोविड स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान करने में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) द्वारा निभाई गई भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि 1.5 लाख एचडब्ल्यूसी में से एक तिहाई पहले से ही सक्रिय हैं। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवाओं की प्रभावशीलता में सुधार करेगी।
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की घोषणा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को एक विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान पत्र उपलब्ध कराया जाएगा जिसमें एकल आईडी के माध्यम से एक आम डेटाबेस में बीमारियों, निदान, रिपोर्ट, दवा आदि का विवरण उपलब्ध होगा।
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