बदल जाएगी दो ऎतिहासिक स्कूलों की तस्वीर
अजमेर, राजस्थान
सवा सात करोड़ से निखर रही है तोपदड़ा और सावित्री स्कूल
स्मार्ट सिटी योजना के तहत हो रहा काम
शहर को कई प्रतिभाएं दी हैं इन स्कूलों ने
अजमेर शहर में शिक्षा की बात हो तो जुबां पर जो चुनिंदा नाम आते हैं, उनमें शामिल हैं तोपदड़ा और सावित्री स्कूल। देश की आजादी के पहले से अजमेर में शिक्षा का केंद्र रहे इन दोनों स्कूलों के दिन बदलने जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी योजना के तहत दोनो स्कूलों को करीब सवा सात करोड़ रूपए की लागत से संवारा जा रहा है। काम पूरा होने के बाद दोनों स्कूल नए रंगरूप में नजर आएंगे।
अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ एवं जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत इन दोनों स्कूलों के काम को हाथ में लिया गया है। दोनों ही स्कूलों का नाम अजमेर के इतिहास के साथ जुड़ा है।
इन स्कूलों का बालक व बालिका शिक्षा में अहम स्थान और नाम है। हमारा प्रयास है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूती के साथ ही दोनों स्कूलों में शिक्षा का स्तर भी अद्यतन और वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुरूप हो। दोनों स्कूलों में कक्षा कक्षों व प्रयोगशालाओं की मरम्मत के साथ ही अन्य विकास कार्यों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के एसीईओ डॉ. खुशाल यादव ने बताया कि दोनों स्कूलों में काम तय समय में पूरा कर लिया जाएगा। सावित्री स्कूल में 3.64 करोड़ रूपए के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। यहां दिसम्बर 2020 तक काम पूरा होगा। तोपदड़ा स्कूल के लिए 3.5 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए है। यहां भी दिसम्बर 2020 तक काम पूरा हो जाएगा।
फिर से चमकेगी सावित्री स्कूल
राजकीय सावित्री कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में भवन की मरम्मत, रखरखाव एवं सौन्दर्यीकरण इत्यादि का कार्य प्रगतिरत है। इसमें 45 कमरों एवम् प्रयोगशालाओं की मरम्मत, हैरिटेज कैमिकल ट्रीटमेन्ट से मरम्मत, छत की मरम्मत का कार्य, 6 मेल एंव फीमेल बाथरुम की मरम्मत का कार्य, बास्केट बॉल कोर्ट का निर्माण, विद्यालय प्रागंण में बगीचे का निर्माण, बारिश के पानी के निकास हेतु नाले का निर्माण, रगंमंच की मरम्मत, पार्किंग व सुरक्षा के लिए लाईटिंग का कार्य सम्मिलित किए गए हैं।
जानिए सावित्री स्कूल के बारे में
संस्था की स्थापना श्रीमती रामप्यारी चन्दि्रका व उनके पति राजकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर लालाजी श्रीवास्तव ने 4 फरवरी 1914 को रखी थी। सर्वप्रथम चन्दि्रका जी ने 50 बालिकाओं की सम्पूर्ण शिक्षा का भार स्वयं वहन किया। यह स्कूल 106 वर्षों से लगातार संचालित है।
विद्यालय 8406.4 स्क्वायर यार्ड में फैला है, यह भूमि नगर पालिका द्वारा विद्यालय को आंवटित हुई थी। वर्तमान समय में यहां लगभग 1600 छात्राएं अध्ययनरत हैं। पूर्व में स्कूल को किंग जार्ज मेमोरियल ऎजुकेशन ट्रस्ट सोसायटी द्वारा संचालित किया जाता था। इसके साथ सावित्री कन्या महाविद्यालय, सावित्री बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, सावित्री बालिका प्राथमिक विद्यालय, केन्द्रीय कार्यालय, सावित्री शिक्षण संस्थान, अजमेर चलता था। राज्य सरकार द्वारा सावित्री बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय व प्राथमिक विद्यालय को 03 जुलाई को चल-अचल सम्पति सहित अधिग्रहित कर लिया गया था।
विद्यालय से पढ़ कर निकली छात्राओं ने विविध क्षेत्रों में नाम रोशन किया है। इनमें कई प्रतिष्ठित अधिकारी एवं अन्य क्षेत्रों की महिलाएं शामिल है।
तोपदड़ा स्कूल बनेगी मॉडल इंस्टीट्यूट
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तोपदड़ा को एक मॉडल इंस्टीट्यूट बनाने का कार्य प्रगति पर है। इसमें 48 कमरों एवं प्रयोगशालाओं की मरम्मत, भवन की मरम्मत, हैरिटेज का कैमिकल ट्रीटमेन्ट, मेल एंव फीमेल बाथरुम का निर्माण, छत की मरम्मत का कार्य, बगीचे की बाउण्ड्री वॉल का निर्माण, बगीचे का निर्माण, रगंमंच की मरम्मत, पार्किंग, सुरक्षा हेतु लाईटिंग का कार्य सम्मिलित किए गए हैं। अन्य सौन्दर्यकरण कार्य भी प्रगतिरत है।
अजमेर की शान तोपदड़ा स्कूल
यह विद्यालय ऎतिहासिक महत्व का है। जुलाई 1818 में सिंधिया से अजमेर मेरवाडा को प्राप्त करने के बाद अंग्रेजो ने शिक्षण व्यवस्था का प्रथम प्रयास इसी विद्यालय की स्थापना से 1819 में प्रारम्भ किया। विद्यालय 1831 तक बराबर चलता रहा पर छात्रों की संख्या कम होने के कारण बंद कर दिया गया। सन् 1836 में अंग्रेजों ने पुनः सरकारी विद्यालय की स्थापना की, लेकिन 1843 में विद्यालय की प्रगति असंतोषजनक मानते हुए इसे पुनः बन्द कर दिया गया।
25 मार्च 1851 में पुनः इस विद्यालय का पुनर्गठन किया गया इसकी देखभाल के लिए एक स्थानीय समिति बनाई गई। इस बार विद्यालय ने तीव्र गति से उन्नति की और सन् 1856 में विद्यार्थियों की संख्या 234 हो गई। सन् 1859 में कलकत्ता विश्व विद्यालय की स्थापना होते ही इस विद्यालय को विश्व विद्यालय द्वारा मान्यता प्रदान की गयी।
अप्रेल 1868 में विद्यालय इंटरमीडियेट स्तर पर क्रमोन्नत किया गया। सन् 1931 में महाविद्यालय को इस विद्यालय से पृथक कर दिया गया। विद्यालय अपने वर्तमान भवन में सन् 1923 में प्रारम्भ हुआ। राजस्थान के सरकारी विद्यालयों में इतना बड़ा भवन, छात्रावास, क्रीडा प्रांगण किसी अन्य विद्यालय में उपलब्ध नहीं है।
सन् 1956 में यह विद्यालय बहुउद्देशीय माध्यमिक विद्यालय में परिवर्तित किया गया। इस परिवर्तन के कारण विद्यालय में तकनीकी विभाग जोड़ा गया नगर का प्राचीनतम विद्यालय राज्य में ही नहीं अपितु राष्ट्र में विख्यात है।
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