विजय पाते ही जरा इनकी नकेल कस देना
विजय पाते ही जरा इनकी नकेल कस देना
बिजली निगम, बिजली की प्राइवेट कम्पनियां, प्राइवेट स्कूल-कॉलेज वाले ना केवल लूटने, बल्कि धौंस व धमकी देने भी लगे हैंl
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, यदि आप अपनी और पूर्व उपमुख्यमंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी जंग से निपट जाते हैं, विधानसभा के विशेष सत्र में शक्ति परीक्षण में सफलता प्राप्त कर लेते हैं, तो सबसे पहले राज्य के सभी बिजली निगमों, बिजली की सभी प्राइवेट कंपनियों, प्राइवेट स्कूल-कॉलेज वालों की नाक में नकेल डालने का काम कीजिए। बिजली निगम और इनकी प्राइवेट कंपनियों ने ना केवल उपभोक्ताओं को हजारों रुपए राशि के चार-पांच माह के बिल एकसाथ भेजे हैं, बल्कि 15 दिन के भीतर बिल की राशि जमा नहीं कराने पर बिजली कनेक्शन काटने के नोटिस भी दिए हैं। इसी तरह प्राइवेट स्कूल-कॉलेज वाले भी अभिभावकों पर चार-पांच माह की फीस भरने के लिए खासा दबाव बना रहे हैं। अब यह बात समझ में नहीं आती है कि लॉकडाउन के दौरान काम-धंधे ठप रहे तो उपभोक्ताओं व अभिभावकों के पास चार-पांच महीने का इकट्ठा बिल और फीस जमा कराने के लिए इतनी रकम कहां से आएगी। यानी उपभोक्ताओं और अभिभावकों के सामने अपने परिवार को भूखे सुलाकर पहले बिजली के बिल और फीस जमा कराने जैसी दुविधापूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। यदि कनेक्शन कट गया तो बिना बिजली के कैसे रहेंगे और यदि फीस जमा नहीं कराई तो स्कूल वाले बच्चों को बैठने नहीं देंगे। हुजूर आपने गरीबों को एक-एक हजार रुपए देने का जो निर्णय लिया है, उसके लिए आपको साधुवाद, लेकिन यह तो बताइए कि बेचारे मध्यम वर्गीय परिवार किधर जाएं। क्या वे मोटी रकम का बिल व फीस जमा कराकर अपने परिवार को भूख से मरने दें। आप खुद सोचिए, कितनी पीड़ादायक स्थिति पैदा हो गई है। अब सवाल उन कांग्रेसियों से, जिन्होंने तत्कालीन भाजपा राज में राजस्थान में सहित कुछ प्रमुख शहरों की बिजली व्यवस्था टाटा पॉवर कम्पनी को सौंपने का कड़ा विरोध किया था, वे अब किधर हैं। उपभोक्ताओं को मोटी रकम का बिल भेजने और बिल 15 दिन में जमा नहीं कराने पर कनेक्शन काटने का नोटिस देने का विरोध अब क्यों नहीं कर रहे हैं। क्या जनता के हित में आवाज उठाना सरकार के खिलाफ बोलना माना जा रहा है। यदि ऐसा नहीं है, तो फिर कांग्रेसी सरकार पर बिजली कंपनियों व प्राइवेट स्कूल-कॉलेज के खिलाफ कार्यवाही करने का दबाव क्यों नहीं बना रहे हैं। क्या यही जनता के प्रति उनकी जवाबदेही है।
प्रेम आनन्दकर
अजमेर, राजस्थान।
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