राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विजय दिवस पर सैन्य अस्पताल को दिया दान
निधियों का उपयोग कोरोना योद्धाओं के लिए एयर फिल्टरिंग उपकरणों की खरीद के लिए किया जाएगा
कारगिल युद्ध में बहादुरीपूर्वक लड़ने वाले एवं सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि के रूप में, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज (26 जुलाई, 2020) दिल्ली स्थित सैन्य अस्पताल (रिसर्च एवं रेफरल) को उन उपकरणों, जो कोविड-19 महामारी से प्रभावी रूप से मुकाबला करने में चिकित्सकों एवं अर्धचिकित्सकों की सहायता करेंगे, की खरीद के लिए 20लाख रुपये का चेक दिया। आज करगिल युद्ध में जीत की 21वीं वर्षगाठ है जिसे विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सैन्य अस्पताल को राष्ट्रपति का योगदान राष्ट्रपति भवन में व्यय को किफायती बनाने और इस प्रकार कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराने के एक प्रयोग के कारण संभव हो पाया है। इससे पहले, राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में कई उपायों को आरंभ करने के जरिये व्यय में कमी लाने के लिए निर्देश जारी किए थे। इस पहल के एक नतीजे के रूप में, इससे पहले उन्होंने एक लिमोजीन (कई सुविधाओं से लैस एक लंबी कार) खरीदने के प्रस्ताव को आस्थगित कर दिया था जिसका उपयोग समारोह संबंधी अवसरों पर किया जाना था।
सैन्य अस्पताल को राष्ट्रपति के योगदान का उपयोग पीएपीआर(पावर्ड एयर प्यूरीर्फाइंग रेस्पिरेटर) की इकाइयों की खरीद के लिए किया जाएगा जो सर्जरी के दौरान चिकित्सा पेशवरों को स्वांस लेने में सक्षम बनाने तथा उन्हें संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने वाले अत्याधुनिक उपकरण हैं। यह रोगियों की देखभाल करने के वृहद प्रयोजन पूरा करेगा तथा उन योद्धाओं की सुरक्षा करेगा जो एक अदृश्य शत्रु से लड़ रहे हैं।
सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर की उनकी भूमिका में, राष्ट्रपति का भाव प्रदर्शन सैन्य अस्पताल के अग्रिम पंक्ति के कोविड योद्धाओं का हौसला बढायेगा। यह उनके लिए एक सुरक्षित, अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने में दीर्घकालिक भूमिका निभाएगा जिससे कि वे अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के अनुरूप कार्य कर सकें। ऐसी भी उम्मीद की जाती है कि यह भाव प्रदर्शन दूसरे लोगों तथा संगठनों को अपने खर्चों को कम करने के लिए तथा बचत का उपयोग कोविड योद्धाओं की सहायता एवं मदद के लिए प्रेरित करेगा।
सैन्य अस्पताल (रिसर्च एवं रेफरल) भारत के सशस्त्र बलों के लिए शीर्ष चिकित्सा देखभाल केंद्र है। कार्यवाहक कमांडेंट मेजर जनरल शरत चंद्र दास भी ऑपरेशन विजय के एक प्रतिभागी थे जिसके लिए उन्हें युद्ध सेवा मेडल से पुरस्कृत किया गया था। वर्तमान परिस्थितियों में, इसके चिकित्सक, नर्स तथा अर्ध चिकित्सकीय कर्मचारी अनथक रूप से 24 घंटे कार्य कर रहे हैं और अपने जीवन को बड़े खतरे में डाल कर सर्वोच्च गुणवत्ता की चिकित्सा देखभाल उपलब्ध करा रहे हैं।
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