माल भी गया, माजना भी गया - प्रेम आनंदकर

माल भी गया, माजना भी गया


यदि कोई विवाद या बात थी तो घर में बैठकर निपटाते, जगहंसाई कराने से क्या मिला


प्रेम आनन्दकर, अजमेर।



"माल भी गया तो माजना भी गया", ऐसा ही कुछ राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के साथ हुआ है। या तो उन्होंने बगावत के लिए उचित समय नहीं चुना या फिर अपने कुछ खास विधायकों या सिपहसालार की बातों में आकर बहुत जल्दबाजी में कदम उठा लिया। भले ही बगावती तेवर अपनाने के पीछे चाहे जो भी कारण रहे हों, लेकिन एक बात तो साफ हो गई है कि राजनीति के घाघ माने जाने पायलट ने इस बार दिमाग से काम नहीं लिया। यही कारण है कि उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में बनी अपनी पहचान को कतिपय स्वार्थ सिद्धि के लिए दांव पर लगा दिया। जिस तरह से कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस मुखिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपमुख्यमंत्री पद से बाहर किया है, उसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। यह दोनों कदम पायलट के लिए राजनीति में बहुत बड़े नुकसान साबित होंगे। यही नहीं, जिन विधायकों के बूते उन्होंने सरकार और पार्टी से बगावत का कदम उठाया, वे विधायक भी कब तक और उनके साथ बने रहेंगे, इस सवाल पर भी उन्होंने कभी गौर नहीं किया होगा। ऐसे में इस संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि जब जब विधानसभा की सदस्यता छिनती हुई दिखेगी तो यही विधायक एक-एक उनके खेमे से खिसकते नजर आएंगे। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी इन विधायकों को नोटिस दे चुके हैं। ऐसे में पायलट ना केवल खुद अकेले पड़ सकते हैं, बल्कि राजनीति में पूरी तरह अलग-थलग भी पड़ सकते हैं। सदन के अंदर और बाहर भाजपा से उन्हें अभी जो साथ मिलने की उम्मीद नजर आ रही है, वह भी धूमिल हो सकती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि तब आखिर अकेले पायलट क्या कर लेंगे। उन्हें कोई भी कदम उठाने से पहले ठंडे दिमाग से विचार करना चाहिए था। यदि कोई बात थी तो कांग्रेस के नेतृत्व के माध्यम से करनी चाहिए थी। यदि आवाज उठा भी दी थी तो मनाने पर मान जाना चाहिए और नेतृत्व द्वारा भेजे गए नेताओं के माध्यम से मुख्यमंत्री गहलोत से बात करनी चाहिए थी। मसले हमेशा बातचीत से हल होते हैं, झगड़े से नहीं। और फिर वे तो खुद सत्ता-संगठन में ऐसे पदों पर थे, जिनसे समझने-समझाने की उम्मीद की जाती है। आखिर जगहंसाई कराने से क्या हासिल हुआ। केवल कांग्रेस सत्ता व संगठन की फुट उजागर हो गई है।


प्रेम आनन्दकर


अजमेर, राजस्थान।


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