हम तो डूबे हैं सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे - प्रेम आनंदकर

हम तो डूबे हैं सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे


यदि राजस्थान में गतिरोध दूर नहीं हुआ तो यही स्थिति हो सकती है


प्रेम आनन्दकर, अजमेर।



"हम तो डूबे हैं सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे", ऐसा लगता है, शायद राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने अपनी सियासी जंग का यही लक्ष्य बनाया हुआ है। दोनों में अहम यानी मूंछ की लड़ाई कुछ इस कदर बढ़ गई है कि मसला सुलझने और राजनीतिक संकट दूर होने के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। बात हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है, तो अब दोनों के ही कदम पीछे खींचने की संभावना-उम्मीद भी नहीं के बराबर रह गई है। उधर "दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा" वाली बात सार्थक होती नजर आ रही है, तो भाजपा भी गहलोत व पायलट में रोजाना हो रही बयानी जंग पर नजरें लगाए बैठी है। यह बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र से भी जाहिर होती है। कुल मिलाकर राजस्थान में कांग्रेस सरकार व संगठन का बेड़ा गर्क होता नजर आ रहा है। ना गहलोत और ना ही पायलट को समझ आ रही है। समझ में नहीं आता कि इन दोनों के ऐसे कौनसे सिपहसालार हैं, जो इस सियासी संकट को खत्म नहीं होने देना चाहते हैं और दोनों के "कान भर रहे हैं।" या फिर कांग्रेस का आला नेतृत्व इतना कमजोर है कि अपने घर के संकट को सुलझाने में या तो विफल है या सुलझाने के लिए कोई प्रयास नहीं करना चाहता है। यदि गहलोत-पायलट के बीच यह घमासान खत्म नहीं होता है, तो आने वाले कई वर्षों तक कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।


प्रेम आनन्दकर


अजमेर, राजस्थान।


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