अब क्यों नजर आने लगे सारे दोष - प्रेम आनंदकर
अब क्यों नजर आने लगे सारे दोष
प्रेम आनन्दकर, अजमेर
दुकान भी आपकी, माल भी आपका। सरकार भी आपकी, संगठन भी आपका। हैसियत भी आपकी, ताकत भी आपकी। आप में उन्हें पहले भी हटाने-हटवाने की शक्ति थी, तो अब भी है। जिस तरह अब उन्हें हटाया-हटवाया है, उसी तरह यह काम पहले क्यों नहीं किया। उनमें वो सारे ऐब तो पहले भी आपकी नजर में थे, जो अब आपने गिनाए हैं। उनको अपने साथ ही उपमुख्यमंत्री पद की शपथ भी आपने ही दिलवाई थी, फिर भी आप दोनों में सरकार बनने के बाद से अब तक डेढ़ साल से कोई बातचीत नहीं हो रही थी। जब मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री के बीच यह स्थिति थी, जो असहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार कैसे चल रही थी। यह सारी बातें जो आपने सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने शेयर की हैं, वह अपनी पार्टी के मंच पर पहले क्यों नहीं बताईं। निकम्मा, नाकारा, धोखेबाज, पीठ में छुरा घोंपने वाला तक बताकर आप क्या सिद्ध करना चाहते हैं। इससे तो यही साबित होता है कि सचिन पायलट में यह सारे ऐब थे, फिर भी आप सरकार बचाए रखने के लिए चुप्पी साधे हुए थे, क्योंकि तब वे आपके साथ थे। अब जबकि उन्होंने आपका साथ छोड़ दिया तो सार्वजनिक रूप से वो सारी बातें करने लगे हैं, जो अभी तक दबाए हुए थे। मतलब परिवार का कोई सदस्य घर में रहे, तब तक तो ठीक है और अगर घर छोड़कर चला जाए तो जगत में उसकी बुराई का ढिंढोरा पीट दो। क्यों? क्या घर छोड़कर गया सदस्य कभी वापस नहीं आ सकता है। यदि वह आने की भी सोचे, तो इतना जहर घोल दो कि वह आए ही नहीं। "समर्थ को नहीं दोष गुसाईं", कुछ यही राजस्थान में हो रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जितना जतन अब अपनी सरकार बचाने के लिए कर रहे हैं, यदि इतनी कोशिश पायलट से बैठकर बात करने में कर लेते तो शायद आज यह नौबत नहीं आती। कोरोना महामारी के इस दौर में जिन विधायकों को अपनी जनता के बीच रहकर दुख-दर्द में भागीदार बनना चाहिए, उन्हें आलीशान होटल में रखकर रोजाना लाखों रुपए बर्बाद करने का आखिर क्या औचित्य है। क्या इसीलिए जनता ने विधायकों को चुना था। बेहतर हो कि बैठकर बातचीत कर लीजिए, ताकि राज्य में आया गतिरोध दूर हो सके।
प्रेम आनन्दकर
अजमेर, राजस्थान।
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