गर्मी से बचाव के लिए पुलिस कर्मियों को दवा वितरित
अजमेर, राजस्थान
आयुर्वेद विभाग के द्वारा कोरोना वारियर्स को गर्मी से बचाव के लिए दवा तैयार कर उपलब्ध करवाई जा रही है।
आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक डॉ. विनायक कुमार शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न विभागों द्वारा युद्ध स्तर पर सेवाएं प्रदान की जा रही है। इन योद्धाओं को गर्मी से बचाने के लिए विशेष दवा तैयार की गई है। यह दवा लू, गर्मी, जी घबराना, उल्टी, दस्त जैसी गर्मी के मौसम में होने वाली समस्त बीमारियों पर असरकारक है।
उन्होंने बताया कि सोमवार को पुलिस विभाग के एक हजार स्टाफ के लिए दवा तैयार कर उपलब्ध करवाई गई। भविष्य में इस गर्मी में फ्रन्ट फुट पर कार्य करने वाले समस्त कार्मिकों को भी विभाग द्वारा इसे उपलब्ध कराया जाएगा। इस अवसर पर आयुर्वेद विभाग के सहायक निदेशक डॉ. बाबूलाल कुमावत भी उपस्थित थे। इस दवा को लेना सरल है। साथ ही इसे अपने पास ही रखा जा सकता है। एक शीशी में एक व्यक्ति के लिए सात दिन की दवा है। नियमित तौर पर चार-चार गोली सुबह शाम लेने से व्यक्ति समस्त गर्मी जनित व्याधियों से बचा रह सकता है।
आयुर्वेद विभाग का है अभिनव प्रयास
शर्मा के अनुसार यह दवा आयुर्वेद विभाग का अभिनव प्रयोग है। आयुर्वेद पद्धति में कर्पूरधारा नामक औषधि जीवन रसायन अर्क के नाम से जानी जाती है। इसके निर्माण में कर्पूर, पोदिने के फूल, अजवाइन के फूल तथा लोबन के फूल का उपयोग किया जाता है। यह जीवाणुनाशक, पीडाहर तथा कण्डूरोधी होती है। इसका उपयोग हैजा, दांत दर्द, दस्त, पेट दर्द, त्वचा रोग, जुकाम, कण्डू, भूख नहीं लगना, सिर दर्द, जोड़ो का दर्द, कान का दर्द, आमवात तथा गर्मी जनित समस्त बीमारियों में कर सकते हैं। बीमारी से पहले भी इस्तमाल करने से ये बीमारियां नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद ग्रन्थों में कर्पूरधारा का उपयोग बताशे में रखकर करने के लिए सलाह दी गई है। वर्तमान जीवनशैली में बताशे का उपयोग सभी जगह किया जाना संभव नहीं है। अतः आयुर्वेद विभाग द्वारा अभिनव प्रयोग करते हुए शर्करा बॉल्स में इसे दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत एक शीशी में एक व्यक्ति के लिए सात दिन की खुराक रहती है। व्यक्ति को प्रातः सायं 4-4 गोली लेना काफी रहता है।
सामान्यतः कुछ खाकर लिया जाता है लेकिन उल्टी तथा वमन की स्थित में भूखे पेट भी ले सकते है। इसका उपयोग समस्त आयु वर्ग के लिए हितकर है।
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