फायर ब्रिगेड ने किया टिड्डी दल का सफाया
अजमेर, राजस्थान
जिले में विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में आए टिड्डी दल का सफाया फायर ब्रिगेड के माध्यम से किया गया।
कृषि विभाग के उपनिदेशक वी.के. शर्मा ने बताया कि जिले के गोवलिया, किशनपुरा, नांद एवं जसंवतपुरा क्षेत्र के लगभग 850 हैक्टयर क्षैत्रफल में बडे वृक्ष अरडु, जामुन आदि पर टिड्डी दल का भारी ठहराव देखा गया। टिड्डी दल 20-25 फिट की ऊचांई पर ठहरा हुआ था। टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर के द्वारा इतनी ऊँचाई पर छिडकाव प्रभावी तरीके से नहीं पहुंच पा रहा था। इस कारण टिड्डियों का लगातार प्रभाव बने रहने की आशंका थी। इसके समाधान के लिए फायर ब्रिगेड का उपयोग किया गया। नगर निगम अजमेर व नगर पालिका किशनगढ़ के सहयोग से प्राप्त 5 फायर ब्रिग्रेड के माध्यम से ऊचांई पर बैठी हुए टिड्डी दल पर छिडकाव किया गया। वृक्षों की अधिकतम ऊंचाई तक छिडकाव होने से टिड्डीयों के तंत्रिका तंत्र पर विषैला प्रभाव होने से बडी संख्या में टिड्डीयों का सफाया हुआ। कीटनाशी दवा के छिडकाव के 3-4 घण्टे पश्चात् टिड्डियों का जमीन मरते हुए गिरना ग्रामीणों के लिए कौतुहल का विषय था। गांव के बुर्जुगो ने बताया की जीवन में पहली बार टिड्डी दल का ऎसा प्रकोप देखा है।
उन्होंने बताया कि प्रशासन एवं कृषि विभाग के अधिकारी सम्पूर्ण रात्रि क्षेत्र में मुस्तेद रहे। सुबह 5 बजे नियंत्रण अभियान आरम्भ किया गया। यह अभियान सूर्योदय तक चला। इसमें 5 फायर ब्रिगेड, 23 टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर, टिड्डी नियंत्रण दल की 8 गाडिया और कृषि विभाग के 12 दलों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
उन्होंने बताया कि पींसागन के उपखण्ड अधिकारी समन्दरसिंह भाटी ने भी छिडकाव उपरान्त मरी हुई टिड्डीयो को देखकर विभागीय कायोर्ं की सराहना की। ग्रामीणो को अधिक से अधिक संख्या में टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर टिड्डी निंयत्रण हेतु लाने की समझाइश की।
उन्होंने बताया कि टिड्डी दल बहुत बडी संख्या में था। निंयत्रण उपरान्त टिड्डी दल का प्रवाह गोविन्दगढ, फतहपुरा, पींसागन की तरफ हुआ हैं। नागौर से टहला होते हुये पुनः नये टिड्डी दल का अजमेर जिले की तरफ आगमन हो सकता हैं। अतः सभी कृषको से आह्वान किया गया है कि जिन किसानो के पास ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर हैं वो अपनी सेवाऎ देने के लिये कन्ट्रोल रुम नम्बर 0145-2641990 अथवा स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक को सूचित कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि टिड्डी दल सूर्योदय के साथ उडना प्रारम्भ करता है एवं सूर्योस्त के समय एक स्थान पर बैठे जाता हैं। जिले के कृषको से आहवान किया जाता है कि सामूहिक रुप से टिड्डी नियंत्रण में योगदान दें। टिड्डी नियंत्रण के लिये क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. 1200 एम.एल. अथवा डेल्टामेथ्रीन 2.8 ई.सी. 480 एम.एल. अथवा लेम्बडासायहेलाथ्रिन 5 प्रतिशत ई.सी. 400 एम.एल. प्रति हैक्टयर की दर से छिडकाव किया जा सकता हैं।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन में टिड्डी नियंत्रण दल के अधिकारी गोकुल चौधरी, कृषि विभाग के सहायक निदेशक अजमेर कैलाश चन्द मेघवंशी, कृषि अधिकारी दिनेशचन्द्र, दिनेश झा, सतीश चौहान व क्षेत्र के सहायक अधिकारी एवं कृषि पर्यवेक्षक तथा स्थानीय ग्रामीणों का सक्रिय सहयोग रहा। सरपंच तिलोरा समुन्दर सिंह रावत, सरपंच नांद विष्णुसिंह राठौड एवं सरपंच जसंवतपुरा श्रीमती पप्पु देवी ने भी विशेष प्रयास कर ग्रामीणो का टिड्डी निंयत्रण करने में सहयोग दिलाया।
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