कमला नेहरु टीबी कल्चर लैब के डॉ पाटनी को कार्यसम्पादन पर मेडिकल कॉलेज के लिए कार्यमुक्त करने से आई.आर.एल का कार्य प्रभावित होने की संभावना

अजमेर, राजस्थान 


रिपोर्ट – मनीष शर्मा व हेमंत



कमला नेहरु टीबी कल्चर लैब के डॉ पाटनी को कार्यसम्पादन पर मेडिकल कॉलेज के लिए कार्यमुक्त करने से आई.आर.एल का कार्य प्रभावित होने की संभावना




वर्तमान में पूरा विश्व कोरोना महामारी के प्रकोप से गुज़र रहा है l इसी बीच गत 4 मई को राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के ग्रुप 2 के शासन उप सचिव संजय कुमार के आदेशानुसार पुरे प्रदेश भर से 31 माइक्रोबायोलोजिस्ट डॉक्टर्स की सेवाएं चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौपी गयी थी l


उक्त आदेशानुसार अजमेर के कमला नेहरु प्रादेशीय क्षय प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण केंद्र में पदस्थापित वरिष्ठ चिकित्सक डॉ तरुण पाटनी को कार्य संपादन हेतु जे एल एन मेडिकल कॉलेज अजमेर में लगाया है l



प्राप्त जानकारी ने अनुसार डॉ पाटनी केएनएसटीडीसी की आई.आर.एल टीबी कल्चर लैब में पिछले 14 वर्षो से कार्यरत है l पूर्व में यह लैब एक बहुत छोटे स्तर की लैब हुआ करती थी परन्तु डॉ पाटनी की कार्य के प्रति लगन, मेहनत व समर्पण भाव से केएनएसटीडीसी की आई.आर.एल टीबी कल्चर लैब आज वर्तमान में राष्ट्रिय स्तर की लैब व रीजनल स्टोर में सम्मलित है जहाँ से सिबिनाट जैसी टीबी जांच की कार्ट्रिज पुरे देश भर में सप्लाई की जाती है l


इसे डॉ पाटनी का प्रबल नेतृत्व व उनकी कार्य में प्रति मेहनत/लगन ही कही जाएगी की पिछले 14 वर्षो से चिकित्सा निदेशालय स्तर के जितने भी अधिकारी अजमेर भ्रमण पर आये वह सभी डॉ पाटनी की पीठ थप थपा कर गए l आज वर्तमान में आई.आर.एल टीबी कल्चर लैब में लगभग 12-15 स्थायी व संदिदाकर्मी कार्यरत है जो डॉ पाटनी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर सम्पूर्ण राजस्थान के 12-15 जिलो के गंभीर टीबी मरीजों के बलगम के जांच कार्य को कर रहे है l



लैब के ही कुछ कर्मचारियों ने अपना नाम न बताने की शर्त पर ए वाय एन न्यूज़ टीम को यह अवगत करवाया की आज वर्तमान में जो अजमेर में आई.आर.एल टीबी कल्चर लैब है वह सिर्फ और सिर्फ डॉ पाटनी के प्रयासों से ही संचालित है l प्रयोगशाला का समय प्रातः 9:30 से सांय 6 बजे तक का है जबकि डॉ पाटनी अपने कार्यस्थल पर प्रातः 9 बजे ही आ जाते है व शाम 6 बजे तक या कभी कभी उसके बाद तक भी संस्थान में ही रहकर पूर्ण इमानदारी व निष्ठा के साथ अपना कार्य करते है तथा अक्सर यह देखा गया है की डॉ पाटनी अपने घर पर जाकर भी संस्थान (निक्षय सॉफ्टवेर पर कार्य) का कार्य करते है l  



उक्त संस्थान आई.आर.एल टीबी कल्चर लैब के साथ साथ एक प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र भी है जहाँ टीबी उन्मूलन कार्यक्रम से सम्बंधित सभी तरह के प्रशिक्षण दिए जाते है l सम्पूर्ण प्रदेश में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में जो स्टाफ कार्यरत है वो सभी डॉ पाटनी द्वारा ही प्रशिक्षित किया गया है l   


कमला नेहरु प्रादेशीय क्षय प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण केंद्र अजमेर में लगभग सभी प्रशिक्षण डॉ पाटनी द्वारा ही दिए जाते है l



द इकोनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/india-continues-to-record-maximum-number-of-tuberculosis-tb-cases-/articleshow/71638359.cms?from=mdr के अनुसार वर्ष 2017 में टीबी जैसी गंभीर बिमारी से 1.5 मिलियन लोगो की मृत्यु हुई यानी प्रतिदिन लगभग 4110 व्यक्ति टीबी जैसी गंभीर बिमारी से मरते है l गौरतलब है की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी जैसी गंभीर बिमारी को 2025 तक देश से एलिमिनेट करने की योजना बनायीं है l   


ऐसे में अब अगर डॉ तरुण पाटनी (टीबी वॉरियर) जैसे कर्मठ व निष्ठावान चिकित्सक को किसी अन्य संस्थान के लिए कार्यमुक्त किया जाता है तो आई.आर.एल टीबी कल्चर लैब व अन्य प्रशिक्षण कार्य पूर्ण रूप से प्रभावित होने की प्रबल संभावना है जिसका सीधा नकारात्मक असर टीबी के मरीज़ व टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर पडेगा l


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