अब जरा इनका भी "इलाज" हो, जमकर हो रही है जमाखोरी और कालाबाजारी। जरूरतमंदों की मजबूरी को दुह कर कूटी जा रही है चांदी।
अब जरा इनका भी "इलाज" हो
जमकर हो रही है जमाखोरी और कालाबाजारी
जरूरतमंदों की मजबूरी को दुह कर कूटी जा रही है चांदी
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
वैश्विक महामारी कोरोना से हमारी केंद्र और राज्य सरकारें बड़ी मजबूती के साथ जूझ रही हैं। सभी वारियर्स लोगों को महफूज रखने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। सरकार को इस महामारी से निपटने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू करना पड़ा। कई राज्यों में अनेक जिला कलेक्टर को कर्फ्यू लगाने जैसे कदम उठाने पड़े। भले ही इन सभी कदमों से देश की अर्थव्यवस्था पिट गई है, लेकिन हमारी सरकारों की सबसे बड़ी प्राथमिकता यही है कि जनता पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित रहे। इन सबके विपरीत जमाखोरों और कालाबाजारियों ने लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए चांदी कूटना शुरू कर दिया। वर्तमान में बाजार में हर चीज कई-कई गुणा महंगी मिल रही है। हालांकि शासन-प्रशासन लॉकडाउन और कर्फ्यू प्रभावित क्षेत्रों में उचित मूल्य की सामग्री सप्लाई करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन लोगों को जरूरी सामान के अलावा दैनिक उपभोग की अन्य वस्तुएं महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही हैं। कुछ चीजों के दाम तो मूल दाम से छह से सात गुणा अधिक हैं। बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गुटखा जैसे नशीले उत्पादों के दाम तो आठ से दस गुणा अधिक हो गए हैं। इन उत्पादों के जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्यवाही कर भी रही है, लेकिन परचूनी सामान की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ उतनी कार्यवाही नहीं हो पा रही है, जितनी होनी चाहिए। गरीबों को तो सरकार की तरफ से हरसंभव मदद की जा रही है, लेकिन मध्यम वर्ग के लोग इस मदद के दायरे में नहीं आने के कारण कालाबाजारी करने वालों के हाथों जमकर लूटे जा रहे हैं। सभी जिला प्रशासन को परचूनी सामान की दुकानों पर दबिश देकर कार्यवाही करनी चाहिए तभी मध्यम वर्ग के लोगों को राहत मिल सकती है।
प्रेम आनन्दकर, अजमेर, राजस्थान।
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