दिल्ली में 'आप' की जीत, भाजपा को आइना, कांग्रेस को लानत
दिल्ली में 'आप' की जीत, भाजपा को आइना, कांग्रेस को लानत
-चार राज्यों में मात खाकर अब तो सबक ले भाजपा
-कांग्रेस को खिलौना बना दिया कांग्रेसियों ने
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की चली आंधी ने भाजपा और कांग्रेस के टीन टप्पर उड़ा दिए। जिस तरह 'आप' को चुनाव में कामयाबी मिली है, उससे यह साबित हो गया है कि विकास के साथ साथ जनता की नब्ज को भी टटोलना जरूरी है। 'आप' और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जनता की नब्ज सही तरीके से टटोलने में कामयाब रहे। यही कारण है कि जनता ने उन्हें फिर से सत्ता का राज और ताज सौंप दिया। भाजपा दिल्ली की जनता का रुख नहीं भांप सकी, इसलिए उसे ऐसी करारी मात खानी पड़ी, जिसके लिए उसने सोचा भी नहीं होगा। यह भाजपा और उसके आला नेताओं के लिए एक बहुत बड़ा सबक भी है। हालांकि ऐसा ही सबक भाजपा को राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के बाद महाराष्ट्र और झारखंड से भी मिला था, लेकिन सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेताओं ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। महाराष्ट्र में बहुमत नहीं होने के बाद भी उठापटक कर सरकार बनाने और दो दिन बाद ही सत्ता से बाहर हो जाने से भी भाजपा की किरकिरी हुई थी। इधर, कांग्रेस की नाव तो खुद कांग्रेसी ही डुबोने में लगे हुए हैं। कांग्रेस और उसके नेता राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकार बनने से इतने मदहोश हो गए कि वे देश के दूसरे राज्यों के बारे में सोच तक नहीं पा रहे हैं, जिसका ताजा उदाहरण दिल्ली के चुनाव हैं। दिल्ली में कांग्रेस ने केवल 'नूरा कुश्ती' खेली। उसका मकसद चुनाव लड़कर सत्ता में आना नहीं, बल्कि चाहे जैसे भी हो, भाजपा को रोकना था। इसीलिए कांग्रेस दिल्ली के चुनाव में गंभीर नहीं रही। उसकी इसी सोच ने 'आप' और केजरीवाल की राह आसान कर दी। इस चुनाव में कांग्रेस का रवैया देखकर यही लगा कि उसके नेताओं ने अपनी पार्टी को महज 'खिलौना' बना दिया। यही रवैया कांग्रेस की दुर्गति होने का सबसे बड़ा कारण है। इस रवैये से कांग्रेस अब कभी भविष्य में उबर पाएगी या नहीं, यह तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यदि भाजपा ने अब भी सबक नहीं लिया और अपनी नीतियों में सुधार नहीं किया, तो वह धीरे धीरे सिमटने लगेगी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक केवल नरेंद्र मोदी के दम पर भाजपा चुनाव लड़ती रहेगी। भाजपा को जनता का मन टटोल कर उसी के मुताबिक शासन-प्रशासन चलाना होगा। बहरहाल दिल्ली के चुनाव राजनीति के लिए बहुत कुछ कह गए हैं। अब भी भाजपा और कांग्रेस को होश नहीं आए तो फिर उनके लिए कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
प्रेम आनन्दकर, अजमेर, राजस्थान।
दिनांक-11/02/2020, मंगलवार।
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