छिछोरे दिन पर भारी पड़ा सपूतों का बलिदान दिवस, हमारी संस्कृति के प्रति अच्छी सोच और शहीदों के लिए जागा सम्मान - प्रेम आनन्दकर
छिछोरे दिन पर भारी पड़ा सपूतों का बलिदान दिवस
हमारी संस्कृति के प्रति अच्छी सोच और शहीदों के लिए जागा सम्मान
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
पश्चिमी संस्कृति से आए और पिछले कई वर्षों से अमरबेल की तरह पनपे वेलेंटाइन डे पर इस पर आज ही के दिन पुलवामा हमले में मारे गए हमारे वीर सपूतों की शहादत वाकई में भारी पड़ गई। आज तमाम सोशल मीडिया पर वेलेंटाइन डे की बजाय शहीदों को नम आंखों से याद करने वाली पोस्टों की भरमार देखकर वाकई मन को सुकून मिला। सुकून इसलिए भी, उम्रदराज मित्रों के अलावा हमारी युवा पीढ़ी ने भी फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, वाट्सअप आदि सोशल मीडिया के माध्यमों पर दिल खोलकर वीर सपूतों के सम्मान में पोस्ट डाली। इससे जहां हमने छिछोरे दिन वेलेंटाइन डे को एक तरह से नकारा है, तो वहीं सीमा पर धूप, गर्मी, बरसात, कड़ाके की ठंड, माइनस डिग्री से भी कई गुणा नीचे बर्फीले पहाड़ों और रेगिस्तानी धोरों में भीषण गर्मी में 50-55 डिग्री तापमान में डटे रहकर देश की रक्षा करने और हमें सुकून का जीवन जीने का मौका देने वाले सेना के जवानों, सीमा व देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर कर देने वाले शहीदों के प्रति सम्मान का भाव प्रकट कर देशभक्ति दिखाई है। लेकिन ऐसा ही हर साल छिछोरे दिन पर हो, तो यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि हमारी युवा पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से दूर होगी और जवानों के प्रति सम्मान के साथ-साथ देशभक्ति की भावना भी प्रबल होगी। पुलवामा में वीरगति को प्राप्त हुए सभी जवानों के चरणों में बारम्बार नमन।
प्रेम आनन्दकर, अजमेर, राजस्थान।
14/02/2020, शुक्रवार।
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