आज लोकसभा में पेश होगा नागरिकता संशोधन बिल
यह संविधान के खिलाफ, देश को बांट रही सरकार - ओवैसी
मोदी सरकार का बहुचर्चित नागरिकता संशोधन बिल आज लोकसभा में पेश होने वाला हैl इस बिल को लेकर कई तरह की आशंकाएं और कई तरह के सवाल उठने लगे हैंl सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या नागरिकता संशोधन बिल से भारत हिन्दू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है? क्या नागरिकता संशोधन बिल देश में मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बना देगा? ऐसे सवाल एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उठाए हैंl
ओवैसी ने कहा है, ये बिल संविधान के आर्टिकल 14 और 21 के खिलाफ हैl नागरिकता को लेकर एक देश में दो कानून कैसे हो सकते हैंl सरकार धर्म की बुनियाद पर ये कानून बना रही हैl सरकार देश को बांटने की कोशिश कर रही हैl सरकार फिर से टू नेशन थ्योरी को बढ़ावा दे रही हैl सरकार चाह रही है कि मुसलमान देश में दोयम दर्जे का नागरिक बन जाएl
वहीँ दूसरी ओर विपक्ष का दावा है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश हैl ये विधेयक 19 जुलाई 2016 को पहली बार लोकसभा में पेश किया गयाl इसके बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की थीl जेपीसी रिपोर्ट में विपक्षी सदस्यों ने धार्मिक आधार पर नागरिकता देने का विरोध किया था और कहा था कि यह संविधान के खिलाफ हैl इस बिल में संशोधन का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि अगर बिल लोकसभा से पास हो गया तो ये 1985 के असम समझौते को अमान्य कर देगाl
नागरिकता संशोधन बिल क्या है
भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे नागरिकता अधिनियम 1955 नाम दिया गयाl मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे नागरिकता संशोधन बिल 2016 नाम दिया गया हैl
नागरिकता संशोधन बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध यानी कुल 6 समुदायों के लोगों को नागरिकता दी जाएगीl इसमें मुसलमानों का जिक्र नहीं हैl नागरिकता के लिए पिछले 11 सालों से भारत में रहना अनिवार्य है, लेकिन इन 6 समुदाय के लोगों को 5 साल रहने पर ही नागरिकता मिल जाएगीl इसके अलावा इन तीन देशों के 6 समुदायों के जो लोग 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हों, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगाl
आपको बता दें कि एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स अभी सिर्फ असम में लागू हुआ हैl लेकिन सरकार इसे पूरे देश में लागू करना चाहती हैl असम में 19 लाख लोगों का नाम एनआरसी की फाइनल लिस्ट में नहीं आयाl इसमें मुसलमानों के अलावा दूसरे समुदाय के लोग भी थेl तो अब सवाल ये है कि क्या एनआरसी में छूटे दूसरे धर्मों के लोगों के लिए ही सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक ला रही है?
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