राष्ट्र के विकास में ग्राम स्वराज की भूमिका महत्वपूर्ण - राज्यपाल


राजस्थान, जयपुर।


राज्यपाल  कलराज मिश्र ने  कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं। उनके सिद्धान्त इतने प्रेरणादायी है कि उन पर चलकर विकास के सभी लक्ष्य हासिल किये जा सकते हैं।  


  राज्यपाल  कलराज मिश्र शुक्रवार को उत्तरप्रदेश राज्य के जिला कुशीनगर के किसान पी.जी. कॉलेज, सेवरही में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती वर्ष पर राष्ट्र के विकास में ग्राम स्वराज की भूमिका संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। महात्मा गांधी का जीवन भारत ही नहीं पूरे विश्व और पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का संदेश देता रहा है। राज्यपाल  मिश्र और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री  केशव प्रसाद मौर्य ने विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण किया।


राज्यपाल  मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन और उनके कार्य उन्हें इतनी ऊंचाई प्रदान करते हैं कि आज उनके जन्म के 150 वर्ष बाद भी हमें न केवल प्रेरणा मिल रही है बल्कि भावी पीढ़ी के लिए भी इसमें संदेश निहित हैं। गांधी जी ने स्वतंत्र भारत में अपने जीवन का बहुत कम समय व्यतीत किया। इसके बावजूद हम देखते हैं कि आज देश का विकास और विकास की संकल्पना उनके स्वदेशी ग्राम स्वराज्य और स्वावलंबन जैसे सिद्धान्तों के बिना अधूरी है। 


राज्यपाल  कलराज मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी एक ऎसे व्यक्तित्व थे जिनके सिद्धान्त देश, धर्म, भाषा, जाति, सम्प्रदाय और वर्ग सबसे ऊपर उठकर सम्पूर्ण मानवता के लिए उपयोगी और प्रासंगिक बने रहेंगे। अगर हम इतिहास पर नज़र ड़ालें तो विश्वभर में पिछली शताब्दी के दौरान साम्राज्यवाद के खिलाफ चले सभी आन्दोलनों में गांधी की छाप नजर आती है। दक्षिण अफ्रिका में नेलसन मण्ड़ेला हों या अमरीका में मार्टिन लूथर किंग, फिलीस्तीन में यासर अराफात हों या पौलेण्ड  के लेक वालेसर सबने किसी न किसी रूप में गांधी को अपना प्रेरणा स्त्रोत माना। गांधीजी के विचारों और आचरण के साथ-साथ उनके सिद्धान्तों और अहिंसा में उनकी अटूट निष्ठा ने दुनिया के कई देशों में आन्दोलनों की दिशा ही बदल दी। सत्याग्रह जैसा आन्दोलन महात्मा गांधी द्वारा प्रदान किया गया, वह विश्वभर में असहमति और विरोध व्यक्त करने के लिए एक प्रमुख मार्ग बनकर सामने आया। अहिंसात्मक तरीके से भी विरोध किया जा सकता है, यह गांधीजी ने कर दिखाया।  


 मिश्र ने कहा कि इस कार्यक्रम में आये युवाओं को मैं विशेषरूप से बताना चाहूंगा कि महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज्य, स्वदेशी और स्वावलंबन का मार्ग विशेष रूप से अपनाने योग्य है। स्वावलंबन एक ऎसा जीवन दर्शन है जो मनुष्य को दूसरे पर निर्भर होने से रोकता है। इससे व्यक्ति समाज और अन्ततः राष्ट्र को ऎसे नागरिक मिलते हैं जो चरित्रवान होने के साथ साथ श्रम का महत्व समझने वाले और अनुशासित होते हैं। युवाओं को आज भविष्य की ओर देखते हुए अपने अतीत का स्मरण भी करना चाहिये। भारत हमेशा से ऎसा देश था, जो अभावों के बावजूद संतुष्टि महसूस करता था। यहां के गांव पूरी तरह आत्मनिर्भर


थे । 


 


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